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Showing posts from April, 2019

Emblem of Iran and Sikh Khanda

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ईरानी प्रतीक चिह्न और सिखों के खंडे में क्या है अंतर पहली नजर में देखने पर सिखों के धार्मिक झंडे निशान साहिब में बने खंडे के प्रतीक चिह्न और इरान के झंडे में बने निशान-ए-मिली के प्रतीक चिह्न में काफी सम्मानता नजर आती हैं परन्तु इनमें कुछ मूलभूत अन्तर हैं जैसे कि :   Colour : खंडे के प्रतीक चिह्न का आधिकारिक रंग नीला है वहीं ईरानी प्रतीक चिह्न लाल रंग में नज़र आता है। Established Year : खंडे के वर्तमान प्रतीक चिह्न को सिखों के धार्मिक झंडे में अनुमानतन 1920 से 1930 के दरमियान, शामिल किया गया था। वहीं निशान-ए-मिली के प्रतीक चिह्न को ईरान के झंडे में 1980 की ईरानी क्रांति के बाद शामिल किया गया था। Exact Date : इस ईरानी प्रतीक चिह्न को हामिद नादिमी ने डिज़ाइन किया था और इसे आधिकारिक तौर पर 9 मई 1980 को ईरान के पहले सर्वोच्च धार्मिक नेता अयातुल्ला खुमैनी जी ने मंजूरी के बाद ईरानी झंडे में शामिल किया गया। वहीं सिखों के झंडे का यह वर्तमान प्रतीक चिह्न विगत वर्षो के कई सुधारों का स्वरूप चिह्न है इसलिए इसके निर्माणकार और निर्माण की तिथि के बारे में सटीक जानकारी दे पाना बहुत जटिल बात है, ...

गुरू अर्जुन देव जी

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                                      गुरू अर्जुन देव जी महाराज          जपिओ जिन अरजन देव गुरू फिर संकट जोन गर्भ न आएओ गुरू अर्जुन देव जी गुरु राम दास जी के सुपुत्र थे। उनकी माता जी का नाम बीबी भानी जी था। गोइंदवाल साहिब में उनका जन्म 15 अप्रैल 1563 को हुआ आप जी का पालन पोषण पिता गुरू राम दास जी और नाना गुरू अमरदास जी की देख रेख में हुआ जिसके चलते दैवीय गुण आपको विरासत में मिले। गुरू अमरदास जी से आप ने गुरमुखी की गांव की धर्मशाला से देवनागरी लिपि की पंडित बेनी जी से संस्कृति की मामा मोहरी जी से गणित की तथा दूसरे मामा मोहन जी से धिआन लगाने शिक्षा प्राप्त की। बचपन में हि आप जी को गुरू अमरदास जी ने वरदान दे दिया था दोहता बानी का बोहथा इसी कारण आपको बानी का जहाज भी कहा जाता है आपके दैवीय गुणों के कारण ही भटो ने बानी में लिखा है तै जनमत गुरमति ब्रह्म पछानिऊ भावः आप बचपन से ही ब्रह्मज्ञानी थे। गुरू जी का विवाह 1579 ईसवी में 16 वर्ष की आयु में आप जी की...

Behlol dana

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                                               बोहलोल दाना ( بهلول    دانا)                       वहाब इब्न अमर (واهب ابن عمر) बोहलोल साहिब : बोहलोल साहिब एक दरवेश थे आप जी का असली नाम (واهب ابن عمر)  वहाब इब्न अमर था। आप जी का जन्म कुफा ईराक में हुआ आप जी एक अमीर परिवार से तालुक रखते थे आप जी उस समय के बादशाह हारून अल-रशीद के रिश्तेदार तथा उसकी हकुम्मत में एक प्रसिद्ध न्यायाधीश और विद्वान थे, इसके साथ साथ आप जी इमाम मूसा अल-काजिम के बेहद करीबी मित्र भी थे।       हारून अल-रशीद को जब इमाम मीम अल-काज़िम (ए.एस.) पर कुछ संदेह हुआ तो उन्हें लगा कि उनकी  हकुम्मत को भविष्य में इमाम साहिब  कुछ खतरा हो सकता है इसलिए  उन्होंने अपनी हकुम्मत की सुरक्षा के लिए इमाम साहिब को नष्ट करने की योजना बनाई हारून ने एक तरकीब सोची जिससे वह पवित्र इमाम को मार सकता था। उन्होंने इमाम स...