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Showing posts from June, 2020

Emblem of Iran and Sikh Khanda

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ईरानी प्रतीक चिह्न और सिखों के खंडे में क्या है अंतर पहली नजर में देखने पर सिखों के धार्मिक झंडे निशान साहिब में बने खंडे के प्रतीक चिह्न और इरान के झंडे में बने निशान-ए-मिली के प्रतीक चिह्न में काफी सम्मानता नजर आती हैं परन्तु इनमें कुछ मूलभूत अन्तर हैं जैसे कि :   Colour : खंडे के प्रतीक चिह्न का आधिकारिक रंग नीला है वहीं ईरानी प्रतीक चिह्न लाल रंग में नज़र आता है। Established Year : खंडे के वर्तमान प्रतीक चिह्न को सिखों के धार्मिक झंडे में अनुमानतन 1920 से 1930 के दरमियान, शामिल किया गया था। वहीं निशान-ए-मिली के प्रतीक चिह्न को ईरान के झंडे में 1980 की ईरानी क्रांति के बाद शामिल किया गया था। Exact Date : इस ईरानी प्रतीक चिह्न को हामिद नादिमी ने डिज़ाइन किया था और इसे आधिकारिक तौर पर 9 मई 1980 को ईरान के पहले सर्वोच्च धार्मिक नेता अयातुल्ला खुमैनी जी ने मंजूरी के बाद ईरानी झंडे में शामिल किया गया। वहीं सिखों के झंडे का यह वर्तमान प्रतीक चिह्न विगत वर्षो के कई सुधारों का स्वरूप चिह्न है इसलिए इसके निर्माणकार और निर्माण की तिथि के बारे में सटीक जानकारी दे पाना बहुत जटिल बात है, ...

सकारात्मक सोच का महत्व

          सकारात्मक सोच का महत्व एक व्यक्ति ऑटो में बैठकर रेलवे स्टेशन जा रहा था। ऑटो वाला बड़े आराम से ऑटो चला रहा था। कि अचानक एक कार पार्किंग से निकलकर रोड पर आ गई। ऑटो ड्राइवर ने तेजी से ब्रेक लगाया और कार, ऑटो से टकराते-टकराते बची। कार चला रहा आदमी गुस्से में ऑटोवाले को ही भला-बुरा कहने लगा उसे गालियां बकने लगा जबकि गलती कार वाले  की ही थी ऑटो चालक एक सत्संगी (सकारात्मक विचार सुनने-सुनाने वाला) था। उसने कार वाले की बातों पर बिल्कुल भी गुस्सा नहीं किया और क्षमा माँगते हुए आगे बढ़ गया। ऑटो में बैठे व्यक्ति को कार वाले की बातों पर बहुत गुस्सा आ रहा था और उसने ऑटो वाले से पूछा तुमने उस कार वाले को बिना कुछ कहे ऐसे ही क्यों जाने दिया। उसने तुम्हें भला-बुरा भी कहा जबकि गलती तो उसी की थी। इस पर ऑटो वाले ने कहा हमारी किस्मत अच्छी है साहब जो हम बच गए वरना अगर एक्सीडेंट हो जाता तो हमें अभी उसकी वजह अस्पताल भी जाना पड़ सकता था परमात्मा का शुक्र है जो सस्ते में ही बला टल गई। रही बात उसकी घटिया बातों कि तो साहब बहुत से लोग गार्बेज ट्रक (कूड़े का ट्रक) की त...

गुरूद्वारा साहिब (ਜੋੜਾ ਘਰ)

                       गुरूद्वारा साहिब जी आप सभी को कभी ना कभी अपने जीवन काल में किसी ऐतिहासिक गुरूद्वारा साहिब के दर्शन करने का मौका जरूर मिला होगा अगर नहीं तो वाहिगुरू जी जल्द से जल्द आपको दर्शन का मौका दें यही मेरी उनसे प्रार्थना है। आप में से कुछ लोग जब भी गुरूद्वारे गए होंगे उन्होंने  वहां असिम शांति का अनुभव किया होगा मानो आप दुनिया दारी के समस्त झंझटों से मुक्त हो गए हैं या इनसे निपटने के लिए नई ऊर्जा मिल गई हो। मेरे दोस्तों को गुरुद्वारा साहिब का कड़ाह प्रशाद और लंगर बहुत ही अच्छा लगता है। वह वहां संगतो की सेवा भावना की तारीफ करते नहीं थकते उन्हें मौका मिलता है तो वह भी लंगर घर या जोड़ा घर में जरूर सेवा करते हैं। जोड़ा घर वह स्थान यहां गुरूद्वारा साहिब में दर्शनों के लिए आने वाली संगतो के जूते चप्पल रखे जाते हैं। मेरा एक मित्र पहली बार जब गुरूद्वारा साहिब दर्शन करने गया तो उसने आकर बड़ी हैरानी से मुझे एक बात बताई कि उसने गुरूद्वारा साहिब में अपने जूते जमा करवा कर टोकन लिया और वह अंदर मथा टेकने चला गया पर जब उसन...