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Showing posts from June, 2025

Emblem of Iran and Sikh Khanda

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ईरानी प्रतीक चिह्न और सिखों के खंडे में क्या है अंतर पहली नजर में देखने पर सिखों के धार्मिक झंडे निशान साहिब में बने खंडे के प्रतीक चिह्न और इरान के झंडे में बने निशान-ए-मिली के प्रतीक चिह्न में काफी सम्मानता नजर आती हैं परन्तु इनमें कुछ मूलभूत अन्तर हैं जैसे कि :   Colour : खंडे के प्रतीक चिह्न का आधिकारिक रंग नीला है वहीं ईरानी प्रतीक चिह्न लाल रंग में नज़र आता है। Established Year : खंडे के वर्तमान प्रतीक चिह्न को सिखों के धार्मिक झंडे में अनुमानतन 1920 से 1930 के दरमियान, शामिल किया गया था। वहीं निशान-ए-मिली के प्रतीक चिह्न को ईरान के झंडे में 1980 की ईरानी क्रांति के बाद शामिल किया गया था। Exact Date : इस ईरानी प्रतीक चिह्न को हामिद नादिमी ने डिज़ाइन किया था और इसे आधिकारिक तौर पर 9 मई 1980 को ईरान के पहले सर्वोच्च धार्मिक नेता अयातुल्ला खुमैनी जी ने मंजूरी के बाद ईरानी झंडे में शामिल किया गया। वहीं सिखों के झंडे का यह वर्तमान प्रतीक चिह्न विगत वर्षो के कई सुधारों का स्वरूप चिह्न है इसलिए इसके निर्माणकार और निर्माण की तिथि के बारे में सटीक जानकारी दे पाना बहुत जटिल बात है, ...

Emblem of Iran and Sikh Khanda

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ईरानी प्रतीक चिह्न और सिखों के खंडे में क्या है अंतर पहली नजर में देखने पर सिखों के धार्मिक झंडे निशान साहिब में बने खंडे के प्रतीक चिह्न और इरान के झंडे में बने निशान-ए-मिली के प्रतीक चिह्न में काफी सम्मानता नजर आती हैं परन्तु इनमें कुछ मूलभूत अन्तर हैं जैसे कि :   Colour : खंडे के प्रतीक चिह्न का आधिकारिक रंग नीला है वहीं ईरानी प्रतीक चिह्न लाल रंग में नज़र आता है। Established Year : खंडे के वर्तमान प्रतीक चिह्न को सिखों के धार्मिक झंडे में अनुमानतन 1920 से 1930 के दरमियान, शामिल किया गया था। वहीं निशान-ए-मिली के प्रतीक चिह्न को ईरान के झंडे में 1980 की ईरानी क्रांति के बाद शामिल किया गया था। Exact Date : इस ईरानी प्रतीक चिह्न को हामिद नादिमी ने डिज़ाइन किया था और इसे आधिकारिक तौर पर 9 मई 1980 को ईरान के पहले सर्वोच्च धार्मिक नेता अयातुल्ला खुमैनी जी ने मंजूरी के बाद ईरानी झंडे में शामिल किया गया। वहीं सिखों के झंडे का यह वर्तमान प्रतीक चिह्न विगत वर्षो के कई सुधारों का स्वरूप चिह्न है इसलिए इसके निर्माणकार और निर्माण की तिथि के बारे में सटीक जानकारी दे पाना बहुत जटिल बात है, ...

Kawad yatra ki shuruaat kaise hui

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     कैसे हुई कांवड यात्रा की शुरुआत  नमस्कार साथियो हर वर्ष सावन का महिना प्रारम्भ होते ही समूचे शिव भक्तों के मन में कांवड लाने की प्रबल इच्छा अपने आप ही जागृत हो उठती है। पर प्राचीन समय से ही सभी शिव भक्तो और जिज्ञासुओं के मन में एक प्रश्न रह रह कर उठता है रहता कि वास्तव में सबसे पहले कांवड यात्रा की शुरुआत किसने की थी। सही मान्यो में यह अपने आप में हि एक यक्ष प्रश्न है। प्राचीन काल से ही विद्वानों की इस पर अलग अलग राय रही है। पर सभी विद्वान जिन नामों पर एक मत है उनमे पशुराम जी, रावण ,भगवान श्री राम तथा श्रवण कुमार जी का नाम अग्रणीय है। काल खंड पर चर्चा करें तो इन सभी महापुरुषों में से रावण का जन्म सबसे पहले हुआ माना जाता है। वह आयु में पशुराम जी तथा श्रवण कुमार दोनो से काफी बढ़ा था। जबकि पशुराम जी को चिरंजीव होने का वरदान प्राप्त है। भगवान राम से ते आयु में रावण अनुमानतन तैतीस पीढ़ी बड़ा था। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार देवासुर संग्राम भी रावण ने प्रभु राम के पिता जी राजा दशरथ के साथ युद्ध किया था। इस हिसाब से तो प्रथम कांवड लाने वाला महापुरुष तो रावण को हि माना ...