Posts

Showing posts from June, 2019

Emblem of Iran and Sikh Khanda

Image
ईरानी प्रतीक चिह्न और सिखों के खंडे में क्या है अंतर पहली नजर में देखने पर सिखों के धार्मिक झंडे निशान साहिब में बने खंडे के प्रतीक चिह्न और इरान के झंडे में बने निशान-ए-मिली के प्रतीक चिह्न में काफी सम्मानता नजर आती हैं परन्तु इनमें कुछ मूलभूत अन्तर हैं जैसे कि :   Colour : खंडे के प्रतीक चिह्न का आधिकारिक रंग नीला है वहीं ईरानी प्रतीक चिह्न लाल रंग में नज़र आता है। Established Year : खंडे के वर्तमान प्रतीक चिह्न को सिखों के धार्मिक झंडे में अनुमानतन 1920 से 1930 के दरमियान, शामिल किया गया था। वहीं निशान-ए-मिली के प्रतीक चिह्न को ईरान के झंडे में 1980 की ईरानी क्रांति के बाद शामिल किया गया था। Exact Date : इस ईरानी प्रतीक चिह्न को हामिद नादिमी ने डिज़ाइन किया था और इसे आधिकारिक तौर पर 9 मई 1980 को ईरान के पहले सर्वोच्च धार्मिक नेता अयातुल्ला खुमैनी जी ने मंजूरी के बाद ईरानी झंडे में शामिल किया गया। वहीं सिखों के झंडे का यह वर्तमान प्रतीक चिह्न विगत वर्षो के कई सुधारों का स्वरूप चिह्न है इसलिए इसके निर्माणकार और निर्माण की तिथि के बारे में सटीक जानकारी दे पाना बहुत जटिल बात है, ...

ऊपर वाले की लाठी में आवाज नहीं होती

     ऊपर वाले की लाठी में आवाज नहीं होती  एक शख्स बहुत हि सम्पन्न परिवार से तालुक रखता था समाज में उनके परिवार का काफी रूतबा और नाम था। पर वह शख्स बहुत ही मनमौजी स्वभाव का था उसे अपने पुरखो के द्वारा कमाई इज्जत की भी कुछ खास परवाह नहीं थी स्वार्थी प्रवृत्ति होने के कारण वह सदैव अपना ही फायदा सोचता था दूसरों के दर्द पीड़ा की उसे कोई परवाह नहीं थी उसे अपनी धन दौलत पर भी काफी घमंड था  वह लोगों को नीचा दिखाने में भी कोई कसर नहीं छोड़ता था लोग अपनी बेबसी के कारण चुप रह जाते थे। एक बार वह सुबह की सैर करके घर लोट रहा था तो रास्ते में उसे एक ब्लाइंड व्यक्ति आते हुए दिखा जैसे ही वह इसके पास आया इस शख्स ने पैर आगे कर दिया और वह व्यक्ति अड़ंगी खा कर गिर गया उसका बाजू जोर से जमीन पर जा कर लगा पर वह ब्लाइंड व्यक्ति कुछ नहीं बोला और चुपचाप खड़ा होकर आगे बढ़ गया मनमौजी भी मुस्कराते हुए आगे बढ़ गया जैसे कोई महान काम किया हो। समय बीता इसके घर औलाद पैदा हुई डाक्टर साहिब ने इसे बुलाया और समझाया कि आपका बेबी नार्मल नहीं है वह ब्लाइंड है यह शख्स थोड़ा सकपका सा गया डॉक्टर साहब ने दि...

विद्वान पंडित जी और भोले लोग

                  विद्वान पंडित जी और भोले लोग  गांव के मंदिर में सीधे साधे गांव वासी और वृद्ध पंडित जी बड़ी ही श्रद्धा भाव से सुबह और शाम भगवान श्री हरि विष्णु जी की आरती किया करते थे। मंदिर में भगतो के आरती गायन एंव घंटियो की मधुर ध्वनि से मानो लगता था कि स्वयं हरि विष्णु वहां नित्य प्रति आरती सुनने आते हो। मंदिर की रौनक देखते ही बनती थी।                    पंडित जी को शास्त्रों का ज्ञान तो सीमित था पर उनका स्वभाव बहुत सरल था। इसलिए सब लोग उनका सम्मान करते थे।                      एक दिन अचानक पंडित जी की मृत्यु से सभी गांव वासियो को गहरा धक्का लगा। फिर कुछ दिनों बाद गांव के मंदिर में नए पंडित जी को रखने पर विचार हुआ तो एक योग्य विद्वान पंडित जी को गांव के मंदिर में रखा गया नए पंडित जी सभी शास्त्रों में निपुण थे तथा बहुत ही आध्यात्मिक व प्रेरणाप्रद व्यक्ति थे परंतु उनका स्वभाव बहुत कठोर था।           ...