Emblem of Iran and Sikh Khanda

सोमनाथ मंदिर के नजदीकी रेलवे स्टेशन सोमनाथ और वेरावल है। क्योंकि अधिकांश स्थानों से यहां के लिए सीधी ट्रेन नहीं है। इसलिए राजकोट रेलवे स्टेशन उतरना ही ठीक रहता है। वहां से वेरावल रेलवे स्टेशन जाने के लिए कई पैसेंजर और एक्सप्रेस ट्रेन असानी से मिल जाती हैं ।
सोमनाथ ज्योतिर्लिंग दर्शन यात्रा कि शुरुआत मैने दिनांक 09-03-2020 को दिल्ली सराय रोहिल्ला रेलवे स्टेशन से कि मैने सुबह के 8 बजे यहां से गाड़ी संख्या 19264 में सीट ग्रहण की जिसे मैंने पहले ही बुक करवा रखा था। ट्रेन ने अगले दिन दिनांक 10-03-2020 को मुझे 7:50 am पर राजकोट रेलवे स्टेशन पर उतार दिया। यहां से आगे वेरावल जाने वाली पहली पैसेंजर ट्रेन जा चुकी थी। इसलिए मुझे राजकोट स्टेशन पर ही कुछ देर इंतजार करना पड़ा। यहां मेरी मुलाकात दो गुजराती भाइयों से हूई उन्हें भी वेरावल से पहले केसोद स्टेशन पर उतरना था। इनके साथ ही मैने 11:05 am पर वेरावल जाने वाली गाड़ी संख्या 19569 में सीट ली। गाड़ी ने मुझे 3:35 pm पर वेरावल रेलवे स्टेशन पहुंच दिया। स्टेशन के बाहर ही सोमनाथ ट्रस्ट की फ्री बस मौजूद थी जिससे में सोमनाथ ट्रस्ट मात्र 10 से 20 मिनट में पहुंच गया। वैसे आप लोग मात्र 10 से 20 ₹ में शेयरिंग आटो से भी आसानी से सोमनाथ मंदिर पहुंच सकते हैं। वहां आप सोमनाथ ट्रस्ट में अपनी सुविधा अनुसार रूम ले सकते हैं। वहां पहुंचकर सर्व प्रथम मैने सोमनाथ ट्रस्ट की डॉरमेट्री को बुक किया। जो कि मुझे मात्र 90 ₹ में मिली थोड़े आराम के बाद में सोमनाथ मंदिर की शाम की आरती में शामिल होने को निकल पड़ा। सोमनाथ ट्रस्ट से मंदिर माात्र पांच मिनट की दूरी पर स्थित है। मंदिर परिसर में मोबाइल फोन , कोई इलेक्ट्रॉनिक गैजेट, चमड़े से बनी वस्तु ले जाने की अनुमति नहीं है। इसलिए इसको आप अपने कमरे के लोकर रूम में ही छोड़ सकते हैं या फिर अपने साथ ले जाकर मंदिर परिसर के बाहर बने लोकर रूम में निःशुल्क जमा करवा सकते हैं। इसके बाद मंदिर परिसर में दो जगह कड़ी चैकिंग के बाद ही आपको मुख्य मंदिर स्थल मेंं प्रवेश की अनुमति मिलेगी। जब तक में अंदर पहुंचा आरती शुरू हो चुकी थी। इसलिए मुझे भगतो के पीछे खड़े होकर ही भगवान शिव के पावन ज्योतिर्लिंग के दर्शन करने पड़े। सोमनाथ मंदिर के पास ही रानी अहिल्या बाई द्वारा स्थापित पुरातन सोमनाथ मंदिर भी है आप उसके दर्शन भी जरूर कीजिएगा। दोनो मंदिरों के दर्शन के उपरांत में रात्रि का भोजन करने सोमनाथ ट्रस्ट के पास ही बने लीलावती डाईनिग हाल में चला गया। यहां मैने मात्र 70 ₹ मे बढ़िया गुजराती भोजन का आनंद उठाया खाना शुद्ध सात्विक और पोष्टिक था। इसके बाद में अपनी डॉरमेट्री में वापिस आ गया। अगले दिन दिनांक 11-03-2020 को सुबह में जल्दी उठ गया इसलिए समय पर सुुुबह की आरती में शामिल हो सका और मुझे करीब से ज्योतिर्लिंग के दर्शन करने का सौभाग्य प्राप्त हुआ। भगवान शिव को कोटि कोटि नमन कर मुख्य भवन से बाहर आ गया सुबह के समय मुुुुख्य भवन के पीछे अथाह सागर जिसका मीलों तक दूसरा छोर नजर नहीं आता उसे देेेख में धन्य हो गया मानो जैसे में स्वर्ग में खड़ा हूँ । इसके बाद में सोमनाथ मंदिर से गंगेश्वर महादेव की यात्रा पर जाने के लिए सोमनाथ ट्रस्ट के सामने ही बने सरकारी बस स्टैंड पर पहुंच गया वहां से मैने दीव जाने के लिए बस ली बस 9:45 am पर चली और में 12:30 pm पर दीव पहुंच गया। दीव बस स्टैंड पर आटो वाले गंगेश्वर महाराज के मंदिर ले जाने के 150 ₹ मांग रहे थे। पर पास के नारियल पानी बेचने वाले ने मुझे समझाया आप यहां से बस में बैठकर फुदम बस स्टैंड पर उतर जाओ और वहां से 1 किलोमीटर की दूरी पर ही गंगेश्वर महादेव जी का मंदिर है। मात्र 10 ₹ की टीकट लेकर मेें फुदम बस स्टैंड पर उतर गया। वहां मैने पहले चाय पी चाय वाला बढ़िया इंसान था उसने मुझे आगेे का रास्ता बताया। सागर किनारे चलते हुए में झटपट गंंगेश्वर महादेव केे मंदिर पहुंच गया। गंगेश्वर महादेव वह स्थान है यहां पर समुद्र की लहरे स्वयं प्रतिदिन शिवलिंगो का अभिषेक करती हैं। ग॔गेश्वर महादेव के दर्शन के बाद में करीब 5 बजे शाम को वापिस सोमनाथ ट्रस्ट पहुंच गया वहां मैंने आसपास केे मंदिरों के दर्शन किए और राम मंदिर में बैठकर आराम किया फिर पुुुुनः शाम की आरती में सम्मलित हो रात्रि का भोजन ग्रहण कर में आगे द्वारका जाने के लिए आटो पकड़ सोमनाथ रेलवे स्टेशन पहुंच गया।
यहां सेे मेरी द्वारका जाने वाली गाड़ी संख्या 19251 मेंं सीट पहले से ही बुक थी। ट्रेन रात्रि 10:45 पर चली और में अगले दिन दिनांक 12-03-2020 को सुबह 7:30 am पर द्वारकाधीश की नगरी में था। यहां स्टेेेशनन के पास मैैैने लीलावती गेस्ट हाउस में डॉरमेट्री ली जिसका किराया माात्र 200 ₹ था थोड़ी देर आराम करने के बाद में यहाँ से नागेश्वर ज्योतिर्लिंग के दर्शन करने निकल पड़ा आटो वाले 150 ₹ मांग रहे थे तभी एक गुजराती भाई ने बताया कि नागेश्वर दर्शन के लिए आप छकड़े में चले जाओ उन साहिब की बात मान में गुजरात के पारम्परिक छकड़े में बैठ कर मात्र 20 ₹ में नागेश्वर ज्योतिर्लिंग पहुंच गया। वहां मैने पावन ज्योतिर्लिंग के दर्शन किए और पुनः अपने गेस्ट हाउस लौट आया। शाम के समय मैंने द्वारकाधीश मंदिर के दर्शन किए। जिसके लिए उसी तरह के नियमों का पालन करना पड़ता है जो हमने सोमनाथ में किए थे। दर्शन लाईन में खड़े भगत नेे बताया इनका नाम है द्वारकाधीश मांगोगे 20 देंगे 30। मंदिर परिसर में भगवान का अति प्राचीन मंदिर है जिसमें भगवान जी की पुरातन प्रतिमा मौजूद है। वहां के पूजारी लोग प्रभु के ज्यादा देर तक दर्शन भी नहीं करने देते। मेरा सौभाग्य था कि मैंने वहां ध्वज चढ़ते हुए भी देखा और कुछ देर मुझे उन लोगों के साथ चलने का मौका भी मिला। माफ करना प्रभु मुझे वहां ध्वज चढ़ाने की कोई उचित व्यवस्था नजर नहीं आई। यह मुझे जोखिम भरा काम लगा मेरी सहानुभूति शिखर पर लकड़ी पर चड़कर ध्वज लगाने वाले के साथ सदैव रहेगी। इसके बाद में मंदिर के पीछे 56 सीढ़ियों के पास पहुंचा तो वहां एक भोजनालय नजर आया यहां मात्र 20 ₹ में आप भोजन ग्रहण कर सकते हैं इसे भोजन ना कह करके प्रशाद कहना ज्यादा उचित होगा।
अगले दिन दिनांक 13-03-2020 को दोपहर में द्वाराका के अन्य दर्शनिए स्थलों को भेंट देने के लिए भद्रकाली चौंक पहुंच गया। यहां से मात्र 100 ₹ का टिकट लेकर में दर्शन यात्रा वाली बस में सवार हो गया। बस सर्वप्रथम रूकमणि माँ मंदिर पहुंची यहां पर माँ को जल भेंट करने के बाद बस नागेश्वर ज्योतिर्लिंग की तरफ रवाना हुई मुझे पुनः ज्योतिर्लिंग के दर्शन करने का सौभाग्य प्राप्त हुआ। यहां भीड़ होने के कारण हमारी बस की दो सवारी देरी से आई संचालक माथा पीटता रहा पर देवी जी ने बस नहीं चलने दी मुझे गुजराती कम समझ पढ़ती है जैसे ही संचालक नियमों का हवाला दे बस ड्राइवर को बस चलाने के लिए कहता देवी जी जोर जोर से बोलने लगती रोको रोको ओ आरया छू ओ आरया छू जब तक उसके पति देव और उनका साथी पहुंच नहीं गए बस नहीं चली। खैर इसके बाद बस गोपी तालाब गई यहां भगवान श्री कृष्ण के पुरातन मंदिर है। इसके बाद बस भेंट द्वाराका की और रवाना हुई। यह टापू पर बना एक प्राचीन मंदिर है यहां भगवान श्री कृष्ण और सुदामा जी की भेंट हुई थी। टापू पर नाव से जाना पड़ता है। चारों तरफ अथाह समुद्र बीच में हमारी नाव मजा आ गया लोग बगलोंं को बिस्कुट मुरमरे आदि फेंक कर खिला रहे थे इसलिए वह निरंतर नाव के ऊपर मंंडरा रहे थेे। नाव वाला मात्र 20 ₹ लेता है टापू तक के वहां से आगे 5 मिनट का पैदल रास्ता है। भगवान कृष्ण के दर्शन करने के बाद में पास ही बने गुरूद्वारा साहिब मे भी दर्शन करने गया बस के दो अन्य साथी भी मेरे साथ हो लिए सभी जगह के दर्शन करने के उपरांत बस देर शाम को सुरज ढलने के बाद अपने गंतव्य स्थल पर लौट आई। में अपने गेस्ट हाउस में चला आया।
अगले दिन दिनांक 14-03-2020 को मैने सुबह 8 बजे द्वारका रेलवे स्टेशन से ट्रेन पकड़ी और राजकोट स्टेशन पहुंच गया। यहां से शाम को 7:35 pm पर गाड़ी संख्या 192639 में मेरी वापसी की सीट बुक थी अगले दिन दिनांक 15-03-2020 की शाम को मंगलमय यात्रा सम्पन्न कर दिल्ली सराय रोहिल्ला रेलवे स्टेशन 7:35 pm पर पहुंच गया।
परमात्मा का बहुत बहुत शुक्र है कि में समय रहते घर पहुंच सका। मेरे घर लौटने के कुछ दिनों बाद ही कोरोना महामारी के चलते पूरा भारत देश बंद रहा और जो हालात रहे उससे आप लोग भलीभाँति अवगत हैं।
सोमनाथ दर्शन यात्रा का विडियो दर्शन करो जी
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