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Emblem of Iran and Sikh Khanda

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ईरानी प्रतीक चिह्न और सिखों के खंडे में क्या है अंतर पहली नजर में देखने पर सिखों के धार्मिक झंडे निशान साहिब में बने खंडे के प्रतीक चिह्न और इरान के झंडे में बने निशान-ए-मिली के प्रतीक चिह्न में काफी सम्मानता नजर आती हैं परन्तु इनमें कुछ मूलभूत अन्तर हैं जैसे कि :   Colour : खंडे के प्रतीक चिह्न का आधिकारिक रंग नीला है वहीं ईरानी प्रतीक चिह्न लाल रंग में नज़र आता है। Established Year : खंडे के वर्तमान प्रतीक चिह्न को सिखों के धार्मिक झंडे में अनुमानतन 1920 से 1930 के दरमियान, शामिल किया गया था। वहीं निशान-ए-मिली के प्रतीक चिह्न को ईरान के झंडे में 1980 की ईरानी क्रांति के बाद शामिल किया गया था। Exact Date : इस ईरानी प्रतीक चिह्न को हामिद नादिमी ने डिज़ाइन किया था और इसे आधिकारिक तौर पर 9 मई 1980 को ईरान के पहले सर्वोच्च धार्मिक नेता अयातुल्ला खुमैनी जी ने मंजूरी के बाद ईरानी झंडे में शामिल किया गया। वहीं सिखों के झंडे का यह वर्तमान प्रतीक चिह्न विगत वर्षो के कई सुधारों का स्वरूप चिह्न है इसलिए इसके निर्माणकार और निर्माण की तिथि के बारे में सटीक जानकारी दे पाना बहुत जटिल बात है, ...

2 रूपये वाले डाक्टर साहब

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                            Dr Virendra Kumar Oberoi ji                             Anand Parbat                              2 ₹ वाले डाक्टर साहिब जी हमारे देश में डाक्टरों को भगवान का दर्जा दिया जाता है पर आज के बदलते समाज में कुछ लालची डाक्टरों ने अपने इस महान पेशे को पैसे कमाने का एक असान धंधा बना लिया है ऐसे लालची डाक्टर चाहे वह छोटे हो या बड़े या तो मरीज की हैसियत देखकर इलाज करते हैं या हेल्थ इंश्योरेंस प्लान। सभी ईमानदार डॉक्टर्स से क्षमा का जाचक हूँ। • हार्ट अटैक हो गया डॉक्टर कहता है Streptokinase इंजेक्शन ले के आओ इंजेक्शन की असली कीमत 700 से 900 ₹ के बीच है पर उसपे MRP 9000 ₹ का है। आप क्या करेंगे ? • टाइफाइड हो गया डॉक्टर ने लिख दिया कुल 14 Monocef लगेंगे होल सेल दाम 25 ₹ है। अस्पताल का केमिस्ट आपको 53 ₹ में देता है  आप क्या करेंगे ? • किडन...

फुटपाथ फर फ्री क्लिनिक

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सिक्ख धर्म में गुरूनानक देव जी ने कहा है - “विच दुनिया सेव कमाईए ता दरगह बैसन पाईए. " गुरु जी के इन्हीं सिद्धांतों पर चलते हुए सरदार कमलजीत सिंह जी और उनके सहयोगी मानवता की सच्ची मिसाल पेश कर रहे हैं। वह हर रोज दिल्ली के चांदनी चौक में से स्थित गुरुद्वारा सीसगंज साहिब के सामने सुबह 8 से 10 बजे तक फिर  निगम बोध घाट पर 11  से 1 बजे तक लगने वाले फुटपाथ क्लीनिक में हर रोज न जाने कितने गरीब मजदूरों, बेसहारों का मुफ्त इलाज करते हैं। इन चलते फिरते क्लीनिकों का सारा जिम्मा सरदार कमलजीत सिंह जी और उनकी टीम उठाती है। वे पिछले 27 सालों से दिल्ली में 7 अलग-अलग जगहों पर फुटपाथ क्लिनिक की सेवाएं मुफ्त दे रहे हैं सरदार कमलजीत सिंह सिक्योरिटी एजेंसी चलाते हैं वे बताते हैं कि उनके पिता त्रिलोचन सिंह झाड़ू वाले वीर जी ने उन्हें लोगों की सेवा करने के लिए प्रेरित किया। उनके पिता जी ने ही 1989 में इस क्लिनिक की शुरुआत की थी, जिसे सरदार कमलजीत जी न केवल आगे बढ़ा रहे हैं बल्कि उसका विस्तार भी कर रहे हैं। उनकी टीम में अभी इस वक्त लगभग 500 से ज्यादा वॉलंटीयर चार एलोपैथी और दो होम्यापैथी डॉक्टर ...

Sachkhand Express Langar Sewa

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Langar Sewa at New Delhi Railway Station सचखंड एक्सप्रेस लंगर सेवा नई दिल्ली नई दिल्ली रेलवे स्टेशन के प्लेटफार्म नम्बर 3 पर हर रोज हजूर साहिब से आने वाली 12715 सचखंड एक्सप्रेस में लंगर बांटने की सेवा की जाती है। गाड़ी के प्लेटफार्म पर पहुंचने से पूर्व ही सेवादार लंगर लेकर प्लेटफार्म पर पहुंच जाते हैं और बड़े ही श्रद्धा भाव से लगभग सभी डिब्बों में हर यथासंभव लंगर बांटने का प्रयास करते हैं। पर 20 मिनट में पूरी ट्रेन में लंगर बांट पाना कोई आसान कार्य नहीं है इसके लिए अच्छे खासे दम खम की आवश्यकता पड़ती है। जिसमें थोड़ी भूल चूक हो जाना स्वाभाविक है। इसके लिए सभी सेवादार यात्रियों से भी विवेकपूर्ण व्यवहार की आशा करते हैं कि वह केवल अपने बारे में ना सोचकर के पूरी ट्रेन के बारे में सोचें तो कलयुगी प्रभाव से बचा जा सकता है। यह सेवा अकाल पुरूख वाहेगुरू जी के हुक्म से भाई दया सिंह जी चैरिटेबल सेवा ट्रस्ट ( झाड़ू वाले पिता जी) द्वारा चलाई गई थी पिता जी के स्वर्ग वास के बाद भी उनके  बच्चों ने एवं ट्रस्ट के साथ जुड़े श्रद्धालुओं ने इस सेवा को निरंतर जारी रखा है। इस ट्रस्ट की और भी कई निष...

गीता सार

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                                                                      गीता सार क्यों व्यर्थ की चिंता करते हो ? किससे व्यर्थ डरते हो ? कौन तुम्हें मार सक्ता है? आत्मा ना पैदा होती है, न मरती है। जो हुआ, वह अच्छा हुआ, जो हो रहा है, वह अच्छा हो रहा है, जो होगा, वह भी अच्छा ही होगा। तुम भूत का पश्चाताप न करो। भविष्य की चिन्ता न करो। वर्तमान चल रहा है। तुम्हारा क्या गया, जो तुम रोते हो? तुम क्या लाए थे, जो तुमने खो दिया? तुमने क्या पैदा किया था, जो नाश हो गया? न तुम कुछ लेकर आए, जो लिया यहीं से लिया। जो दिया, यहीं पर दिया। जो लिया, इसी (भगवान) से लिया। जो दिया, इसी को दिया। खाली हाथ आए और खाली हाथ चले। जो आज तुम्हारा है, कल किसी और का था, परसों किसी और का होगा। तुम इसे अपना समझ कर मग्न हो रहे हो। बस यही प्रसन्नता तुम्हारे दु:खों का कारण है। परिवर्तन संसार का नियम है। जिसे तुम मृत्यु समझते हो, वही तो जीवन ...

पाखंड

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                                                             डेरा वाद और पाखंडी पंडित पुरातन समय से ही किसी गुरू का हमारे जीवन और भारतीय संस्कृति में बहुत बड़ा महत्व रहा है क्योंकि सच्चा गुरु हमें सदैव हमेंं केेेवल और केवल सत्य का मार्ग दिखलाता है जिस पर चल कर हमारा ना केवल हमारा कल्याण हो सकता है बल्कि हमें परमात्मा की प्राप्ति हो सकती है या हमें मोक्ष की प्राप्ति हो सकती है सच्चा गुरु हमें तमाम समाजिक बुराइयों से बचने का उपदेश भी देता है।  इससे पहले कि आप लोगों की भावनाएं आहत हो में आप लोगों और आपके श्रद्धा भाव से माफी मांग लेना उचित समझता हूँ और यह नैतिकता की दृष्टि से भी जरूरी है मुझे संन्यास ले कर तपोवन में तपस्या करने वाले महात्माओ से कोई आपत्ति नहीं है क्योंकि वह सत्य को जान चुके हैं उनका मूल उद्देश्य मोक्ष की प्राप्ति और संसार के समस्त जीवों का कल्याण करना है। यदि में अंहकार वश उनका अनादर करूँ तो मुझ से बड़ा मूर्ख ...

भारत की शिक्षा व्यवस्था

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                  भारत की शिक्षा व्यवस्था शिक्षा का मकसद होता है इंसान को किसी काबिल बनाना ताकि वह अपने पैरों पर खड़ा होकर एक आदर्श नागरिक बन सके जिससे वह अपना और समाज का भला कर सकता है  इससे उसके मुल्क का भला होना स्वाभाविक बात है। विद्या के विषय में चाणक्य जी का मत है कामधेनुगुणा विद्या ह्ययकाले फलदायिनी। प्रवासे मातृसदृशा विद्या गुप्तं धनं स्मृतम्॥ अर्थात: विद्या कामधेनु गाय के समान है, जो बुरे समय में भी साथ देनेवाली है, प्रवास काल में माँ के समान रक्षा करती है। यह एक प्रकार का गुप्त धन है जिसे कोई भी चुरा नहीं सकता। परन्तु यहां तक आज के भारत की शिक्षा व्यवस्था का प्रश्न है तो इसके हालात बहुत नाज़ुक है वर्तमान समय भारत में शिक्षा एक व्यापार बन चुकी है शिक्षा का अधिकार केवल पैसे वालों तक ही सीमित होता जा रहा है कैसे ? वर्तमान समय में प्रत्येक अभिभावक की यह आशा रहती है के उनके बच्चे अच्छी से  अच्छी शिक्षा प्राप्त कर गसक इसके लिए वह उनकी पड़ाई के लिए बैंकों से कर्ज़ लेने में भी गुरैज नहीं करते यह तो मंहगी पड़ाई की ए...

आजादी के 71 साल

हमारा स्वतंत्रता दिवस आने वाला है हमारे मुल्क को आजाद हुए 71 वर्ष हो जाएंगे। इन 71 सालों में आज हम कहाँ है आइए जरा इंडिया भारत और हिंदूस्तान के नजरिए से समझने का प्रयास करते हैं। इन 71 सालों में इंडिया ने उच्च वर्ग के समान खुब तरक्की की कोमन वेल्थ गेम भी हुए चंद्रयान भी भेजे गए और कई घोटाले भी हुए आई पी एल में विदेशी खिलाड़ियों पर ऊंची बोलियां भी लगी पैसा पानी की तरह बहाया गया। कई सज्जन बैंको और देश को करोड़ों का चूना लगा विदेशों में सैट भी हो गए और हम लोग सब्जी तथा फल वालों की चोरी की वीडियो अपलोड करते रह गए। कुछ अंग्रेजी मित्रों ने बाली गई फैमली को नैतिकता का खूब पाठ भी पड़ाया पर शायद वह अंग्रेजो के आर्थिक शोषण को भूल गए। नए प्रधानमंत्री जी ने चुनाव प्रधानमंत्री की कुर्सी के लिए लड़ा था या हवाई जहाज की कुर्सी के लिए कहना मुश्किल है। इस आपा धापी में भारत की स्थिति मध्य वर्ग की तरह डांवाडोल ही रही झूठी शान दिखाने के चक्कर में देश का वास्तविक विकास कहीं पीछे छूट गया स्कूल कालेज अस्पताल जैसी बुनियादी चीजें भी जनसंख्या के हिसाब से नहीं बड़ सकी शहरों की अपेक्षा ग्रामीण क्षेत्रों...