Posts

Emblem of Iran and Sikh Khanda

Image
ईरानी प्रतीक चिह्न और सिखों के खंडे में क्या है अंतर पहली नजर में देखने पर सिखों के धार्मिक झंडे निशान साहिब में बने खंडे के प्रतीक चिह्न और इरान के झंडे में बने निशान-ए-मिली के प्रतीक चिह्न में काफी सम्मानता नजर आती हैं परन्तु इनमें कुछ मूलभूत अन्तर हैं जैसे कि :   Colour : खंडे के प्रतीक चिह्न का आधिकारिक रंग नीला है वहीं ईरानी प्रतीक चिह्न लाल रंग में नज़र आता है। Established Year : खंडे के वर्तमान प्रतीक चिह्न को सिखों के धार्मिक झंडे में अनुमानतन 1920 से 1930 के दरमियान, शामिल किया गया था। वहीं निशान-ए-मिली के प्रतीक चिह्न को ईरान के झंडे में 1980 की ईरानी क्रांति के बाद शामिल किया गया था। Exact Date : इस ईरानी प्रतीक चिह्न को हामिद नादिमी ने डिज़ाइन किया था और इसे आधिकारिक तौर पर 9 मई 1980 को ईरान के पहले सर्वोच्च धार्मिक नेता अयातुल्ला खुमैनी जी ने मंजूरी के बाद ईरानी झंडे में शामिल किया गया। वहीं सिखों के झंडे का यह वर्तमान प्रतीक चिह्न विगत वर्षो के कई सुधारों का स्वरूप चिह्न है इसलिए इसके निर्माणकार और निर्माण की तिथि के बारे में सटीक जानकारी दे पाना बहुत जटिल बात है, ...

शिक्षा का अधिकार या मजाक

Image
शिक्षा का अधिकार या मजाक   गुरुर्ब्रह्मा गुरुर्विष्णुः गुरुर्देवो महेश्वरः। गुरुः साक्षात् परं ब्रह्म तस्मै श्री गुरवे नमः॥ गुरुः साक्षात् परं ब्रह्म तस्मै श्री गुरवे नमः॥ रौनक रोज की तरह स्कूल ना जाने की जिद्द पर अड़ा था और उसकी माँ बिमला उसे पीट पीट कर स्कूल छोड़ने की जिद्द पर अड़ी थी दोनों का चीख चीहाड़ा अब पड़ोसियों के लिए भी रोज सुबह का सिरदर्द बनता जा रहा था। पड़ोसी शर्मा जी रौनक को बचपन से जानते थे वह पढ़ाई में बचपन से ही काफी होशियार था फिर अचानक यह इतना बिगड़ कैसे गया छठी में फेल भी हो गया उन्होंने ने मन ही मन अंदाजा लगाया कि यह सब बुरी संगत का नतीजा होगा।                         जब एक दिन बिमला ने रौनक को जमकर पीटा और तब भी रौनक स्कूल ना जाने कि जिद्द पर अड़ा रहा तो पोस्ट आफिस में काम करने वाले शर्मा जी से रहा नहीं गया उन्होंने रौनक को प्यार से अपने पास बुलाया और पूछा रौनक क्या बात है तुम स्कूल क्यों नहीं जाते उसने कहा मुझे वहां अच्छा नहीं लगता शर्मा जी ने फिर पूछा क्यों तो वह बोला स्कूल के मास्टर बहुत म...

कलयुगी बेटा

Image
                              कलयुगी बेटा                                                                          एक बहुत ही सभ्य और सम्पन्न परिवार था समाज में उनका बहुत मान सम्मान था वे दम्पत्ति बहुत ही सीधे सादे व नेक स्वभाव के थे सत्संगी होने के कारण लोग उनकी बहुत इज्जत करते थे। दम्पत्ति का एक ही लड़का था जिसकी शादी वह बड़ी धूम धाम से करते हैं लड़की वालों से कोई दहेज तक नहीं लेते लड़के की शादी को छह माह का समय ही बीतता है कि माता पिता को एहसास होने लगता है कि उनके बेटे के स्वभाव में काफी परिवर्तन आ गया है। कुछ समय बाद अचानक उस लड़के की माता जी का देहांत हो जाता है। पत्नी की मृत्यु के बाद उसके पिता जी भी काफी उदास रहने लगते हैं। एक दिन अचानक लड़का अपने पिता जी से कहता है कि पापा आप गैरेज में शिफ्ट हो जाओ क्योंकि आपकी वजह से आपक...

ऊपर वाले की लाठी में आवाज नहीं होती

     ऊपर वाले की लाठी में आवाज नहीं होती  एक शख्स बहुत हि सम्पन्न परिवार से तालुक रखता था समाज में उनके परिवार का काफी रूतबा और नाम था। पर वह शख्स बहुत ही मनमौजी स्वभाव का था उसे अपने पुरखो के द्वारा कमाई इज्जत की भी कुछ खास परवाह नहीं थी स्वार्थी प्रवृत्ति होने के कारण वह सदैव अपना ही फायदा सोचता था दूसरों के दर्द पीड़ा की उसे कोई परवाह नहीं थी उसे अपनी धन दौलत पर भी काफी घमंड था  वह लोगों को नीचा दिखाने में भी कोई कसर नहीं छोड़ता था लोग अपनी बेबसी के कारण चुप रह जाते थे। एक बार वह सुबह की सैर करके घर लोट रहा था तो रास्ते में उसे एक ब्लाइंड व्यक्ति आते हुए दिखा जैसे ही वह इसके पास आया इस शख्स ने पैर आगे कर दिया और वह व्यक्ति अड़ंगी खा कर गिर गया उसका बाजू जोर से जमीन पर जा कर लगा पर वह ब्लाइंड व्यक्ति कुछ नहीं बोला और चुपचाप खड़ा होकर आगे बढ़ गया मनमौजी भी मुस्कराते हुए आगे बढ़ गया जैसे कोई महान काम किया हो। समय बीता इसके घर औलाद पैदा हुई डाक्टर साहिब ने इसे बुलाया और समझाया कि आपका बेबी नार्मल नहीं है वह ब्लाइंड है यह शख्स थोड़ा सकपका सा गया डॉक्टर साहब ने दि...

विद्वान पंडित जी और भोले लोग

                  विद्वान पंडित जी और भोले लोग  गांव के मंदिर में सीधे साधे गांव वासी और वृद्ध पंडित जी बड़ी ही श्रद्धा भाव से सुबह और शाम भगवान श्री हरि विष्णु जी की आरती किया करते थे। मंदिर में भगतो के आरती गायन एंव घंटियो की मधुर ध्वनि से मानो लगता था कि स्वयं हरि विष्णु वहां नित्य प्रति आरती सुनने आते हो। मंदिर की रौनक देखते ही बनती थी।                    पंडित जी को शास्त्रों का ज्ञान तो सीमित था पर उनका स्वभाव बहुत सरल था। इसलिए सब लोग उनका सम्मान करते थे।                      एक दिन अचानक पंडित जी की मृत्यु से सभी गांव वासियो को गहरा धक्का लगा। फिर कुछ दिनों बाद गांव के मंदिर में नए पंडित जी को रखने पर विचार हुआ तो एक योग्य विद्वान पंडित जी को गांव के मंदिर में रखा गया नए पंडित जी सभी शास्त्रों में निपुण थे तथा बहुत ही आध्यात्मिक व प्रेरणाप्रद व्यक्ति थे परंतु उनका स्वभाव बहुत कठोर था।           ...

What is Sikhism

                                What is Sikhism  ?? ●A Religion, which grew from Death and Destruction ●A Religion, whose Master gave such a physical identity that they could not merge and thus left no option but to Fight in face of adversity.( sava lakh se ek ladaoon ) ●A Religion, whose followers during Mughal period had a price for each killed, today is 5th Largest Religion in the World. * ●A Religion,whose First Master at time when Earth was believed to be riding on a Bull , declared presence of Countless Stars and Sky's ( Lakh patala pataal , Lakha Aakashaan Aakaash ) ●A Religion,whose First Master highlighted importance and equated Earth-Air and Water , to ones Parents and wanted it to be treated so for future sake of Generations to come. ●A Religion, whose name means Disciple , constant learning and thus humility. ●A Religion, who recognises Human race as one and in its Daily Pra...

सेवा का अभिमान

                                        सेवा का अभिमान  यह साखी मुझ जैसे सेवादारों को समर्पित हैं जो सेवा करते वक्त संगत को अपमानित करते हैं। सेवा का अभिमान करते हैं। एक दिन गुरु गोबिंद सिंह जी महाराज के दरबार में एक मदारी अपने रीछ के साथ प्रस्तुत हुआ उसने गुुुुरू जी से आज्ञा लेकर खेेल तमाशे दिखाने शुरू किए मदारी के द्वारा सिखाए गए करतब रीछ ने संगत के सामने प्रस्तुत करने शुरू किए कुछ खेल इतने हास्य से भरपूर थे कि संगत की हसी रोके से ना रुक रही थी करतब देख गुरु जी मुस्कुरा रहे थे एक सिख के ठहाकों से सारा दरबार गुंजायमान था वो सिख था गुरु गोबिंद सिंह जी महाराज पर चवर झुलाने की सेवा करने वाला भाई किरतिया था जो जोर जोर से हस रहा था।  भाई किरतिया जी आप इन करतबों को देख,बड़े आनंदित हो गुरु साहब जी ने कहा..  हां महाराज इस रीछ के करतब हैं ही इतने हास्यपूर्ण,,सारी संगत ठहाके लगा रही है मुस्कुरा तो आप भी रहें हैं दातार भाई किरतिया ने कहा.. हम तो कुदरत के करतब देख कर मुस्...

मदद

                                        मदद एक व्यक्ति पैदल घर जा रहा था। रास्ते में एक बिजली के खंभे पर एक कागज लगा हुआ था उसने पास जाकर देखा तो उस पर लिखा हुआ था कि इस रास्ते पर मेरा कल एक 50₹ का नोट गिर गया है। मुझे ठीक से दिखाई नहीं देता। जिसे भी मिले कृपया इस पते पर दे सकते हैं। यह पढ़कर पता नहीं क्यों उस व्यक्ति कि उस पते पर जाने की तीव्र  इच्छा हुई । जब वह पास ही में एक गली के कौने वाले उस घर पर पहुंचा तो वहाँ जाकर उसने जब आवाज लगाई तो एक वृद्धा लाठी के सहारे धीरे-धीरे बाहर आई। वह समझ गया कि वह अकेली रहती है और उसे ठीक से दिखाई भी नहीं देता। उसने धोरे से कहा "माँ जी" - "आपके खोए हुए 50₹ मुझे मिलें है उसे देने आया हूँ  यह सुन वह वृद्धा रोने लगी और बोली बेटा सुबह से करीब 30-40 व्यक्ति मुझे इसी तरह 50-50 ₹ दे चुके हैं में अनपढ़ बेसहारा हूँ  ठीक से दिखाई भी नहीं देता पता नहीं कौन मेरी इस हालत को देख मेरी मदद करने के लिए खंबे पर ना जाने क्या लिख गया है जो तुम ...