Emblem of Iran and Sikh Khanda

केदारनाथ धाम जाने के लिए आपको सर्वप्रथम रेल या बस के माध्यम से हरिद्वार या ऋषिकेश पहुंचना होगा। इसके आगे सोनप्रयाग तक का सफर आप को बस या शेयरिंग जीप से तय करना होगा। सोनप्रयाग से गोरीकुंड फिर आपको शेयरिंग जीप के माध्यम से ही जाना होगा। गोरीकुंड से ही केदारनाथ धाम तक की पैदल यात्रा की शुरुआत होती है।
कोरोना महामारी के कारण पूरा भारत बंद था और में बड़ी उत्सुकता से लॉकडाउन खुलने का इंतजार कर रहा था कि कब हालात थोड़े सामान्य हों और कब में केदारनाथ दर्शन करने जाऊँ। इस बीच यू ट्यूब पर सितम्बर माह में यात्रियों की केदारनाद दर्शन यात्रा की वीडियो अपलोड होने लगी इससे मेरी आस को पुनः बल मिलने लगा। परमात्मा की कृपा से 1 अक्टूबर 2020 को मैने भी उतराखंड स्मार्ट सिटी तथा चार धाम देवदर्शन बोर्ड की वेबसाइट पर जाकर सारी कागजी कार्रवाई पूरी कर ली मुझे 9 तारीख को केदारनाथ बेस कैम्प पहुंचने की अनुमति मिल गई और मुझे 7-10-2020 से 13-10-2020 तक का एक हफ्ते का ई-पास जारी कर दिया गया।
मैने 7-10-2020 को नई दिल्ली रेलवे स्टेशन से अपनी यात्रा की शुरुआत की गाड़ी संख्या 02055 से की गाड़ी स्टेशन से 3:20 pm पर रवाना हुई और ठीक शाम को 7:35 pm पर हरिद्वार पहुंच गई। हरिद्वार रेलवे स्टेशन पर अपने सभी कागजों की जांच करवा कर में रात रूकने के लिए हरिद्वार स्टेशन की बैक साईड पर बने हेमकुंट साहिब ट्रस्ट के गुरूद्वारा साहिब में चला गया। यहां उन लोगों ने भी कागजो की जांच के बाद मुझे गुरूद्वारा साहिब के हाल में रूकने की इजाजत दे दी। अगले दिन दिनांक 8-10-2020 को सुबह 5 बजे हरिद्वार बस स्टैंड से मेरी सोनप्रयाग जाने वाली बस में सीट बुक थी जिसे मैंने रेड बस की वेबसाइट से बुक करवाया था जिसका किराया 700 ₹ था। बस सुबह 5 बजे हरिद्वार से रवाना हो गई। बस का यह सफर रोमांच से भरा हुआ था पहाड़ी रास्तों से होते हुए बस टिहरी डैम से भी गुजरी यहां फोटोग्राफी निषेध थी। खैर शाम को 5 बजे बस सोनप्रयाग पहुंच गई बस से उतरकर सभी लोग रहने के स्थान की खोज और कागजों की जांच करने वाले केंद्र की तरफ चल दिए। मैने पहले कागजो की जांच करवाना उचित समझा इतने में सारे कमरे भरने लगे और किराया बड़ गया खैर मुझे रात गुजारने के लिए मंगा साहिब जैकटो वाले के यहां मात्र 150 ₹ में हाल में जगह मिल गई।
अगले दिन दिनांक 9-10-2020 को मुझे केदारनाथ बैस कैम्प पहुंचना था इसलिए सुबह 5 बजे ही मैने गोरीकुंड जाने के लिए जीप पकड़ ली जिसने मात्र 10 से 15 मीनट में मुझे गोरीकुंड उतार दिया और मात्र 30 ₹ किराया लगा। वहां दुबारा कागजो की जांच हुई गोरीकुंड से ही पैदल यात्रा की शुरुआत होती है। 5:30 am तक चढ़ाई चढ़ने की शुरुआत हो चुकी थी शुरुआती सीढ़ियों ने ही माथे पर पसीना ला दिया।भगवान शिव का नाम ले में आगे बढ़ता रहा जंगल चट्टी तक इतनी मुश्किल नहीं हुई। भीमबली पार करने के बाद रामबाढ़ा पहुंचने पर दो रास्ते हैं एक डेढ़ किलोमीटर कम पड़ता है और दूसरा लोहे के पूल वाला यहां से खचर वाले जाते हैं वह डेढ़ किलोमीटर अधिक पड़ता है। मैने छोटा रास्ता चुना और यही गलती कर दी इस रास्ते में ज्यादा खड़ी चड़ाई थी मेरी हालत पतली हो गई सांस फूलने लगी भगवान शिव का नाम ले में आगे बढ़ता रहा चलने की रफ्तार बेहद कम हो चुकी थी मैैंने एक जगह कम से कम आधा घंटा विश्राम किया मैगी खाई और चाय पी और मन में सोचने लगा यह मेरे बस की बात नहीं रास्ते के साथियों ने हिम्मत बढ़ाई तो हिम्मत कर में आगे बढ़ने लगा लीनचोली पर और अधिक खड़ी चढ़ाई मेरे दम खम की परीक्षा लेने को तैयार खड़ी थी मैने प्रभु का नाम लिया और सोचने लगा खचर कर लेता हूँ तभी किसी साथी ने कहा आप ने 70% चढ़़ाई चढ़ ली है बाकी की 30% भी अब पैदल पूरी करो। शरीर को जितनी थकावट होनी है वह हो चुकी है अगर आप ने अब खचर किया तो जिंदगी भर मलाल रहेगा कि काश में 30% और मेहनत कर लेता और पैदल चला जाता बस इन्हीं बातों ने मुझ में नया जोश भर दिया और में प्रभु का नाम ले आगे बढ़ने लगा चड़ाई खड़ी थी इसलिए थोड़े कदमों पर ही मेरी साँसें फूल रही थी पर में धीरे धीरे आगे बढ़ता चला गया। आगे की चढ़ई चढ़ते हुए में सोच रहा था वापसी कैसे करूँगा खचर लेना पड़ेगा शायद या फिर हेलिकॉप्टर की मदद से सीधा और जल्दी नीचे उतर जाऊँगा। खैर रफ्तार कम होने के कारण में शाम को 7 बजे गढ़वाल मंडल विकास निगम (जी एम वी एन) की डारमेट्री तक पहुंच सका। शाम की आरती में शामिल नहीं हो सका इसका मलाल रहेगा। थके होने के कारण पेेेन किलर खाकर में बिस्तर पर पड़ते ही सो गया।
में मानता हूँ कठिन थोड़ी डगर हो गई मेरी धड़कने क्या बड़ी भोले बाबा को खबर हो गई
अगले दिन दिनांक 10-10-2020 को सुबह में ऐसे उठा मानो कुछ थकावट है ही नहीं केदरनाथ मंदिर के परिसर में पहुंच कर मानो ऐसा लग रहा था जैसे स्वर्ग की हवा आ रही हो मेरी किस्मत अच्छी है कि उसी दिन श्रद्धालुओं को मंदिर के अंदर माथा टेकने की इजाजत मिली थी भगवान शिव को कोटि कोटि नमन कर मंदिर के पीछे भीम शीला को प्रणाम कर सुबह 8:30 am पर मैने चढ़ाई उतरने की शुरुआत कर दी। रास्ते में चाॅॅक की मदद से पत्थरों पर ॐ बनाते हुए में 2:30 pm पर गोरीकुंड पहुंच चुका था गोरीकुंड से टैक्सी पकड़ में 20 मिनट सोनप्रयाग आ गया वहां पहले वाली जगह मंगे साहिब के पास पहुंचकर मैने आराम किया रात का खाना 100 ₹ थाली खाकर गहरी नींद सो गया।
अगले दिन दिनांक 11-10-2020 को सुबह 5 बजे में हरिद्वार जाने वाली बस मे सवार हो गया जिसका किराया 510 ₹ था। बस ने मुझे शाम के 6 बजे हरिद्वार पहुंचा दिया वहां मैने दुबारा गुरूद्वारे में जाकर आराम किया और लंगर शका।
अगले दिन दिनांक 12-10-2020 को मैने सुबह 5 बजे हरिद्वार रेलवे स्टेशन से गाड़ी संख्या 02056 में सीट ग्रहण की जिसे मैंने पहले से बुक करवा रखा था गाड़ी ने 11:15 पर नई दिल्ली रेलवे स्टेशन उतारा और इस तरह मेरी मंगलमय यात्रा सम्पूर्ण हुई।
साथियों इस यात्रा से मुझ को नया होसला मिला और एक बात और यह कोई शक्ति ही थी जिसने मुझे चड़ाई चढ़ने में मदद की वरना यह मेरे बस की बात नहीं थी। चढ़ने वाले यह चढ़ाई 5 से 6 घंटे में चढ़ जाते हैं। खचर वालों को देखिए वह रोज के दो तीन चक्कर लगाते हैं खैर में एक ही बात कहना चाहूँगा कि हारिए ना हिम्मत विसारिए ना राम रास्ते में होसलां अफजाई करने वाले तमाम साथियों का तह दिल से शुक्रिया।
कुछ जरूरी बातें :
उत्तराखंड के चारधाम या पंच केदार की यात्रा के दौरान कुछ तीर्थयात्रियों को आक्सीजन की कमी के चलते काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है। जिससे वह High altitude illnesses or Acute mountain sickness शिकार हो जाते हैं और वक्त पर जरूरी चिकित्सीय सहायता ना मिलने पर स्थिती और भी खराब हो जाती है। कृपया अपने चिकित्सक की सलाह पर यात्रीगण यह तीन दवाएँ अपने साथ जरूर ले कर जांए। यह दवाएँ आप के साथ साथ किसी अन्य की भी जान बचा सकती हैं।
Diamox, Nifedipine, Dexamethasone
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इसके अलावा आप अपनी यात्रा के दौरान लाठी, गर्म जैकेट, अपनी दवाइयाँ, चाॅकलट, पानी की बोतल, कुछ खाने की सामग्री, गर्म पट्टी, टार्च अवश्य अपने साथ रखें। जो बात मैने सीखी अत्यधिक वजन लेकर चड़ाई ना करें गर्म कंबल ऊपर मिल जाते हैं। चड़ाई के दौरान कम बैठें खड़े रहकर ही आराम करें। सांस फूलने पर चाॅकलट खाएं और हार्ट बीट नार्मल कर आगे बढ़े तेजी से देरी भली आप औरों के मुकाबले एक दो घंटे लेट पहुंचोगे बस और क्या प्रभु की राह में जो समय व्यतीत हो वही अच्छा मैने वहां लोगों को नंगे पाँव चड़ाई चड़ते देखा है और मेरे जैसे लोग अच्छा ट्रेक शूज खोज रहे होते हैं।
Important information :
Due to the low level of oxygen at above 8000 feet high altitude, anybody may be the victim of high altitude illnesses or acute mountain sickness.
By this victim may be also suffer several physical problems too. In this condition victim should take some precautions and does not try to become a hero.
Please do not make the fun of victim at that particular time and try to help him as soon as possible, this can save his life.
After consultation with your doctor. You can carry these medicines as a life saving drugs with you. Diamox, Nifedipine, Dexamethasone. These medicines can save anybody life in critical circumstances
This will be the greatest virtuous work for you at that time.
Thank you🙏
केदारनाथ यात्रा में आवश्यकता है बस श्रद्धा भाव की बाकी सबना दा रखवाला शिवजी डमरूआं वाला जय हो भोले नाथ जी।
केदारनाथ दर्शन यात्रा का विडियो दर्शन करो जी
आपने बहुत ही अच्छी जानकारी दी है, आपकी यात्रा को पढ़कर आनंद आ गया! जय भोले
ReplyDeleteCulinary Tour of Delhi