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Emblem of Iran and Sikh Khanda

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ईरानी प्रतीक चिह्न और सिखों के खंडे में क्या है अंतर पहली नजर में देखने पर सिखों के धार्मिक झंडे निशान साहिब में बने खंडे के प्रतीक चिह्न और इरान के झंडे में बने निशान-ए-मिली के प्रतीक चिह्न में काफी सम्मानता नजर आती हैं परन्तु इनमें कुछ मूलभूत अन्तर हैं जैसे कि :   Colour : खंडे के प्रतीक चिह्न का आधिकारिक रंग नीला है वहीं ईरानी प्रतीक चिह्न लाल रंग में नज़र आता है। Established Year : खंडे के वर्तमान प्रतीक चिह्न को सिखों के धार्मिक झंडे में अनुमानतन 1920 से 1930 के दरमियान, शामिल किया गया था। वहीं निशान-ए-मिली के प्रतीक चिह्न को ईरान के झंडे में 1980 की ईरानी क्रांति के बाद शामिल किया गया था। Exact Date : इस ईरानी प्रतीक चिह्न को हामिद नादिमी ने डिज़ाइन किया था और इसे आधिकारिक तौर पर 9 मई 1980 को ईरान के पहले सर्वोच्च धार्मिक नेता अयातुल्ला खुमैनी जी ने मंजूरी के बाद ईरानी झंडे में शामिल किया गया। वहीं सिखों के झंडे का यह वर्तमान प्रतीक चिह्न विगत वर्षो के कई सुधारों का स्वरूप चिह्न है इसलिए इसके निर्माणकार और निर्माण की तिथि के बारे में सटीक जानकारी दे पाना बहुत जटिल बात है, ...

ਅੰਤਿ ਕਾਲਿ ਜੋ ਲਛਮੀ ਸਿਮਰੈ Ant kaal jo lakshmi simrey अंति कालि जो लछमी सिमरै

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  भगत त्रिलोचन जी ने गुरू ग्रंथ साहिब में मनुष्य की अंतिम अवस्था के समय बनने वाली स्मृति के अनुसार उसे अगली कौन सी योनि मिलेगी इसका का जिक्र बड़े ही सुंदर ढंग से अंग (पेज) संख्या 526 पर किया है। जिसका संक्षिप्त विवरण इस प्रकार से है। Video link  Click here  ↔  https://youtu.be/siO1-6XvjKY ਰਾਗ ਗੂਜਰੀ            राग गुजरी            Raag Goojaree ਅੰਤਿ  ਕਾਲਿ  ਜੋ  ਲਛਮੀ  ਸਿਮਰੈ  ਐਸੀ  ਚਿੰਤਾ  ਮਹਿ  ਜੇ  ਮਰੈ  ॥ ਸਰਪ  ਜੋਨਿ  ਵਲਿ  ਵਲਿ  ਅਉਤਰੈ  ॥੧॥ अंति कालि जो लछमी सिमरै ऐसी चिंता महि जे मरै ॥ सरप जोनि वलि वलि अउतरै   ॥१॥ Ant kaal jo lachhmee simrai, aisee chintaa mehi je marai. sarap jon val val autarai.   ॥1॥ Meaning:  At the very last moment, one who thinks of wealth, and dies in such thoughts, shall be reincarnated over and over again, in the form of snakes.  पद्अर्थ:  अंति कालि = अंत के समय, मरने के वक्त। लछमी = माया, धन। ...

अजामिल की कथा

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                        अजामल की कथा गौड़ सम्प्रदाय के ब्राह्मणों का एक अग्रहार कन्नोज में स्थित था। कन्नोज शब्द की उत्पत्ति वास्तव में संस्कृत भाषा के शब्द कान्यकुब्ज से हुई है। इसी कारण से कन्नोज के इन  ब्राह्मणों को इतिहास में कान्यकुब्ज ब्राह्मणों की संज्ञा दी गई है। अग्रहार से आश्य ऐसी जगह से हैं यहां केवल ब्राह्मण रहते हों कान्यकुब्ज ब्राह्मणों के अग्रहार में अजामल नाम का एक नवयुवक ब्रह्मण अपने वृद्ध माता पिता के साथ रहता था। वह  बड़ा ही सदाचारी पितृ भगत शास्त्रज्ञाता  मंत्रवेत्ता  और शीलवान था। इसके साथ साथ वह बहुत ही नेक स्वभाव का था। वृद्ध माता पिता के साथ साथ उसे अग्रहार के अन्य वृद्ध ब्राह्मणों की सेवा करने में भी बहुत आनंद आता था। इसी कारण से वह अग्रहार का एक लोकप्रिय चेहरा बन गया था। एक दिन जब पिता जी ने उसे पूजा अर्चना के लिए वन से फल-फूल, समिधा व कुश लाने को भेजा तो संयोग वश इसने किसी  पुरूष और महिला को नदी किनारे सम्बन्ध बनाते देख लिया। जिस का इस के मन पर गहरा प्रभाव पड़ा घर पहुंच क...

Mahakaleshwar Jyotirlinga kaise jaye

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                   श्री ममलेश्वर ज्योतिर्लिंग कैसे पहुंचे नमस्कार साथियों अपने इस लेख के माध्यम से में आप जी को अपनी ओंकारेश्वर तथा महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग दर्शन यात्रा का सम्पूर्ण विवरण बताने जा रहा हूँ जो कि इस प्रकार से है।  ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग की दर्शन यात्रा पर जाने के लिए आप जी को अपने शहर से सड़क या रेल मार्ग से खंडवा या इंदौर जाना होगा खंडवा रेलवे स्टेशन से ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग की दूरी 70 किलोमीटर है और इंदौर रेलवे स्टेशन से ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग की दूरी 79 किलोमीटर है। वहीं इंदौर रेलवे स्टेशन से उज्जैन रेलवे स्टेशन की दूरी मात्र 56 किलोमीटर पड़ती है।  इंदौर शहर ओंकारेश्वर तथा उज्जैन के में मध्य पड़ता है। इसलिए अधिकांश दर्शन यात्री इंदौर रेलवे स्टेशन जाना ही उचित समझते हैं। वैसे आप महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग (महाकाल) के दर्शनों के लिए सड़क या रेल मार्ग से सीधे उज्जैन भी जा सकते हैं। मैंने अपनी दर्शन यात्रा की शुरूआत नई दिल्ली रेलवे स्टेशन दिनांक 14-07-2021 को कि इसके लिए मैंने रेल गाड़ी की आने जाने की टिकट और दर्श...

Baijnath dham himachal pardesh kaise jaye

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                   बैजनाथ धाम हिमाचल कैसे पहुंचे नमस्कार साथियों अपने इस लेख के माध्यम से में आप जी को अपनी बैजनाथ धाम की दर्शन यात्रा का सम्पूर्ण विवरण बताने जा रहा हूँ जो कि इस प्रकार से है। बैजनाथ धाम हिमाचल प्रदेश  के दर्शनों पर जाने के लिए सर्वप्रथम आप जी को अपने शहर से सड़क या रेल मार्ग से  हिमाचल प्रदेश में बैजनाथ पपरो ला  पहुंचना होगा। वहां से मंदिर बहुत नजदीक है । मैंने अपनी दर्शन यात्रा की शुरुआत  पुरानी दिल्ली रेलवे स्टेशन  से की जिसके लिए मैंने 17-06-2021 को ही दिल्ली से पठानकोट आने जाने की 01-07-2021 की रेल टिकट बुक करवा ली थी। हिमाचल प्रदेश की वेबसाईट से ई पास भी बनवा लिया था। हिमाचल सरकार ने टूरिस्टों के लिए तो हिमाचल में टूरिस्ट प्लेस खोल दिए थे पर धार्मिक स्थलों को अभी श्रद्धालुओं के लिए नहीं खोला था मुझे डर था कि शायद मुझे कहीं टिकट कैंसल ना करवानी पड़ जाएँ तभी खबर आई कि हिमाचल सरकार 01-07-2021 से प्रदेश के सभी मंदिरों को खोलने जा रही है और श्रद्धालुओं को ई पास के बिना ही यात्रा करने की अनुमति होग...

Pulse oximeter

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              पल्स ऑक्सीमीटर 1) SpO2 (O2 saturation level): पल्स ऑक्सीमीटर में SpO2 से हमें यह मालूम चलता है कि क्या हमारे फेफड़े ढंग  से काम कर रहे हैं या नही और क्या वह शरीर के लिए पर्याप्त ऑक्सीजन सप्लाई कर रहे हैं या नहीं SpO2 हमारे खून में मौजूद ऑक्सीजन के स्तर को दिखाता है।                                                                            बच्चों और 18 साल से ऊपर के लोगों में SpO2 की नॉर्मल रीडिंग 95 से 100 के बीच होती है। 94 से 90 की रीडिंग नॉर्मल नहीं मानी जाती यदि यह 94 95 कम बढ़त हो रही है तो नॉर्मल बात है परन्तु यदि यह लगातार 94 से कम जा रही तो यह आपकी सेहत के लिए ठीक बात नहीं है। आपको फेफड़ों से सम्बंधित व्यायाम करने चाहिए इसके लिए आप कपाल भाती या फिर  Spirometer respiratory lung exerciser  का भी इस्तेमाल कर सकते हैं। परन्तु अगर SpO2...

Gurdwara Badi Sangat Sahib Ji

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  ਗੁਰਦੁਆਰਾ ਗੁਰੂ ਨਾਨਕ ਦੇਵ ਜੀ ਮਹਾਰਾਜ ਗੁਰੂ ਬਾਗ            ॥ ਵਾਹਿਗੁਰੂ ਜੀ ਦਾ ਖਾਲਸਾ ਵਾਹਿਗੁਰੂ ਜੀ ਕੀ ਫ਼ਤਹਿ॥  ਗੁਰੂ ਪਿਆਰੀ ਸਾਧ ਸੰਗਤ ਜੀ ਆਪਣੇ ਇਸ ਲੇਖ ਰਾਹੀਂ ਮੈਂ ਆਪ ਜੀ ਨਾਲ ਬਨਾਰਸ ਸ਼ਹਿਰ ਦੇ ਗੁਰਦੁਆਰਾ ਸਾਹਿਬਾਂ ਦੀ ਯਾਤਰਾ ਦਾ ਵਿਔਰਾ ਸਾੰਝਾ ਕਰਨ ਜਾ ਰਿਹਾ ਹਾਂ। ਬਨਾਰਸ ਨੂੰ ਵਾਰਾਨਸੀ ਅਤੇ ਕਾਸ਼ੀ ਦੇ ਨਾਮ ਤੋ ਵੀ ਜਾਣਿਆ ਜਾਂਦਾ ਹੈ। ਮੇਰੀ ਯਾਤਰਾ ਦੀ ਸ਼ੁਰੂਆਤ ਦਿੱਲੀ ਦੇ ਆੰਨਦ ਵਿਹਾਰ ਟਰਮੀਨਲ ਤੋਂ ਮੀਤੀ 20-11-2020 ਨੂੰ ਦੋਪਹਿਰ ਨੂੰ 1:30 ਵਜੇ ਗੱਡੀ ਸੰਖਿਆ 03258 ਰਾਹੀਂ ਹੋਈ ਜਿਸ ਰਾਹੀਂ ਮੈਂ ਅਗਲੇ ਦਿਨ ਸਵੇਰੇ 2:45 ਤੇ ਵਾਰਾਨਸੀ ਪੂਜ ਗਿਆ। ਉਥੋਂ ਬੈਟਰੀ ਵਾਲੇ ਰਿਕਸ਼ੇ ਵਿੱਚ ਬੈਠ ਕੇ ਮੈਂ ਗੋਦਲਇਆ ਚੋਂਕ ਪੂਜ ਗਿਆ। ਗੋਦਲਇਆ ਚੋਂਕ ਤੋਂ   ਗੁਰਦੁਆਰਾ ਬਡੀ ਸੰਗਤ ਸਾਹਿਬ ਥੋੜੀ ਦੂਰੀ ਤੇ ਹੀ ਨੀਚੀਬਾਗ ਵਿਖੇ ਸਥਿਤ ਹੈ ਮੇਂ ਪੈਦਲ ਹੀ ਪੰਜਾ ਮਿਨਟਾਂ ਵਿੱਚ ਗੁਰਦੁਆਰਾ ਸਾਹਿਬ ਵਿਖੇ ਪੁੱਜ ਗਿਆ ਗੁਰਦੁਆਰਾ ਸਾਹਿਬ ਦਾ ਗੇਟ ਬੰਦ ਸੀ ਜੋ ਕੀ ਕਰੀਬ ਚਾਰ ਕੁ ਵਜੇ ਖੁਲਿਆ। ਇਸ ਪਵਿੱਤਰ ਅਸਥਾਨ ਤੇ ਗੁਰੂ ਤੇਗ ਬਹਾਦਰ ਜੀ ਮਹਾਰਾਜ 1666 ਵਿਚ ਭਾਈ ਕਲਿਆਣ ਜੀ ਦੀ ਪ੍ਰਾਥਨਾਂ ਤੇ ਪਧਾਰੇ ਸਨ। ਇਹ ਉਹ ਪਵਿੱਤਰ ਅਸਥਾਨ ਜਿੱਥੇ ਗੁਰੂ ਮਹਾਰਾਜ ਜੀ ਨੇ 7 ਮਹੀਨੇ 13 ਦਿਨ ਤਕ ਤਪ ਕੀਤਾ ਸੀ ਅਤੇ ਆਪਣੇ ਤਪੋ ਬਲ ਨਾਲ ਗੰਗਾ ਮਾਂ ਨੂੰ ਇਥੇ ਹੀ ਪ੍ਰਗਟ ਕੀਤਾ ਸੀ। ਜੋ ਕਿ ਪਵਿੱਤਰ ਖੂਹ ਰੂਪ...

Gurdwara Sri Nanakmatta Sahib Darshan Yatra

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                  ਗੁਰਦੁਆਰਾ ਸ੍ਰੀ ਨਾਨਕਮੱਤਾ ਸਾਹਿਬ ਜੀ           ॥ ਵਾਹਿਗੁਰੂ ਜੀ ਦਾ ਖਾਲਸਾ ਵਾਹਿਗੁਰੂ ਜੀ ਕੀ ਫ਼ਤਹਿ॥  ਗੁਰੂ ਰੂਪ ਪਿਆਰੀ ਸਾਦ ਸੰਗਤ ਜੀ ਆਪਣੇ ਇਸ ਲੇਖ ਰਾਹੀਂ ਮੈਂ ਆਪ ਜੀ ਨਾਲ ਆਪਣੀ ਗੁਰਦੁਆਰਾ ਸ੍ਰੀ ਨਾਨਕਮੱਤ ਸਾਹਿਬ ਜੀ ਦੀ ਯਾਤਰਾ ਦਾ ਵਿਔਰਾ ਸਾੰਝਾ ਕਰਣ ਜਾ ਰਿਹਾ ਹਾਂ । ਗੁਰਦੁਆਰਾ ਸ੍ਰੀ ਨਾਨਕਮੱਤਾ ਸਾਹਿਬ ਜੀ ਉੱਤਰਾਖੰਡ ਦੇ  ਊਧਮ ਸਿੰਘ ਨਗਰ ਜ਼ਿਲ੍ਹੇ ਦੇ  ਨਾਨਕਮੱੱਤਾ ਕਸਬੇ ਵਿੱਚ ਸਥਿਤ ਹੈ ਜੋ ਕੀ ਰੁਦਰਪੁਰ ਸਿੱਟੀ ਰੇਲਵੇ ਸਟੇਸ਼ਨ ਤੋਂ ਲਗਭਗ 54 ਕਿਲੋਮੀਟਰ ਅਤੇ  ਖਟੀਮਾ ਰੇਲਵੇ ਸਟੇਸ਼ਨ ਤੋਂ 15 ਕਿਲੋਮੀਟਰ ਦੂਰ ਟਨਕਪੁਰ ਸੜਕ ਤੇ ਸਥਿਤ ਹੈ।  ਨਾਨਕਮੱਤਾ ਦਾ ਪਹਿਲਾ ਨਾਂਅ ਗੋਰਖਮੱਤਾ ਸੀ।  ਗੁਰੂ ਨਾਨਕ ਦੇਵ ਜੀ ਨੇ ਆਪਣੀ ਇੱਕ ਉਦਾਸੀ ਦੌਰਾਨ ਇਥੇ ਆ ਕੇ ਸਿੱਧਾਂ ਨਾਲ ਅਧਿਆਤਮਿਕ ਵਿਚਾਰ-ਵਿਮਰਸ਼ ਕੀਤੇ ਅਤੇ ਉਹਨਾਂ ਦਾ ਅਹੰਕਾਰ ਚਕਨਾਚੂਰ ਕੀਤਾ। ਗੁਰਦੁਆਰਾ ਸਾਹਿਬ ਵਿਖੇ ਸਰੋਵਰ ਪਾਸ ਪੀਪਲ ਦਾ ਬੂਟਾ ਹੈ ਜੋ ਕਿ ਗੁਰੂ ਮਹਾਰਾਜ ਦੇ ਆਗਮਨ ਤੇ ਸੂਕੇ ਤੋਂ ਹਰਿਆ ਹੋ ਗਿਆ ਸੀ। ਗੁਰਦੁਆਰਾ ਸਾਹਿਬ ਵਿਖੇ ਇਕ ਭੋਰਾ ਬਣਿਆ ਹੋਇਆ ਹੈ ਜਿਸ ਵਿੱਚ ਸਿੱਧਾ ਨੇ ਇਕ ਬਾਲਕ ਨੂੰ ਮਿਟੀ ਵਿੱਚ ਲੂਕਾ ਦਿੱਤਾ ਸੀ ਜੋ ਆਵਾਜ਼ ਦਿੰਦਾ ਸੀ ਧਰਤੀ ਸਿੱਧਾ ਦੀ ਪਰ ਗੁਰੂ ਨਾਨਕ ਦੇਵ ਜੀ ਦੇ ਆਗਮਨ ਤਕ ਉਹ ਬੱਚਾ ਮਰ ਚੁੱਕਾ ਸੀ। ਪਰ ਸ...