Emblem of Iran and Sikh Khanda

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ईरानी प्रतीक चिह्न और सिखों के खंडे में क्या है अंतर पहली नजर में देखने पर सिखों के धार्मिक झंडे निशान साहिब में बने खंडे के प्रतीक चिह्न और इरान के झंडे में बने निशान-ए-मिली के प्रतीक चिह्न में काफी सम्मानता नजर आती हैं परन्तु इनमें कुछ मूलभूत अन्तर हैं जैसे कि :   Colour : खंडे के प्रतीक चिह्न का आधिकारिक रंग नीला है वहीं ईरानी प्रतीक चिह्न लाल रंग में नज़र आता है। Established Year : खंडे के वर्तमान प्रतीक चिह्न को सिखों के धार्मिक झंडे में अनुमानतन 1920 से 1930 के दरमियान, शामिल किया गया था। वहीं निशान-ए-मिली के प्रतीक चिह्न को ईरान के झंडे में 1980 की ईरानी क्रांति के बाद शामिल किया गया था। Exact Date : इस ईरानी प्रतीक चिह्न को हामिद नादिमी ने डिज़ाइन किया था और इसे आधिकारिक तौर पर 9 मई 1980 को ईरान के पहले सर्वोच्च धार्मिक नेता अयातुल्ला खुमैनी जी ने मंजूरी के बाद ईरानी झंडे में शामिल किया गया। वहीं सिखों के झंडे का यह वर्तमान प्रतीक चिह्न विगत वर्षो के कई सुधारों का स्वरूप चिह्न है इसलिए इसके निर्माणकार और निर्माण की तिथि के बारे में सटीक जानकारी दे पाना बहुत जटिल बात है, ...

369 code kya hai

 

           369 निकोल टेस्ला कोड



निकोला टेस्ला (Nikola Tesla) का जन्म 10 जुलाई 1856 को क्रोशिया में हुआ था. 1870 के दशक में उन्होंने अपनी इंजीनियरिंग की डिग्री हासिल की. 1880 के दशक में वो Telephony कंपनी में काम करने लगे. सन 1884 में वो अमेरिका शिफ़्ट गये.

क्या है Code 369 का रहस्य ?

दरअसल, निकोला टेस्ला लॉ ऑफ़ अट्रैक्शन की थ्योरी पर काम कर रहे थे उनका मानना था कि कुछ जादुई अंको की मदद से मानवीय जीवन को काफी हद तक सरल बनाया जा सकता है और इसके लिए वह अपने निजी जीवन में काफी अधिक मात्रा में इन नम्बरों के पीछे छुपी हुई यादुई शक्ति का प्रयोग कर रहे थे। इसके लिए उन्होने अंको की मदद से एक विशेष प्रकार के कोड का निर्माण किया था जिसे टेस्ला के Code 369 की संज्ञा दी जाती है। इसे 'ब्रह्मांड की चाबी' भी कहा जाता है. 

खुद निकोला टेस्ला का मानना था कि यदि किसी व्यक्ति ने इस कोड की अद्भुत शक्ति और इसके साथ जुड़े रहस्यों को समझ लिया तो समझो उसने ब्रह्मांड की चाबी को हासिल कर लिया है।

कुछ विद्वानों का मानना था कि निकोल टेस्ला ने अपने जीवन काल में जिन भी उपलब्धियाँ हासिल की वो वास्तव में इसी जादुई कोड की देन थी। यही कारण है की यह कोड दुनिया के लिए आज भी एक अभुज पहेली बना हुआ है


आईय इस कोड को समझने का प्रयास करते हैं

Code 369 

3+6+9 =18=1+8=9

आगे के गुणांक

12+15+18 = 45 = 4+5=9

(1+2)+(1+5)+(1+8)=3+6+9 फिर से वही पैटर्न 

अर्थात पहली बात यह कोड घुम फिर के अंक 9 का ही प्रतिनिधित्व करता है तथा दूसरी बात यह कोड शुरू से लेकर अंत तक (Infinity) एक ही प्रकार के पैटर्न को दोहराता है यकीन ना आए तो थोड़ी दीमागी कसरत आप भी कर सकते हैं। 21+24+27

अब यरा एक नज़र 6 के पहाड़े पर भी डाल कर देखते हैं

6,12,18=6+12+18=36=3+6=9

Or 6+(1+2)+(1+8)=6+3+9=18=1+8=9

अर्थात यहां भी घुम फिर के अंक 9 ही आ रहा है और यहां भी एक ही प्रकार के पैटर्न 6,3,9 का ही दोहराव हो रहा है।


अब यरा एक नज़र 9 के पहाड़े पर डालते हैं

9,18,27=9+18+27=54=5+4=9

Or 9+(1+8)+(2+7)=9+9+9=27=2+7=9


इस कोड से एक बात स्पष्ट हो जाती है की यह कोड पूर्णतया अंक 9 का प्रतिनिधित्व करता है और अंक 9 का Infinity में कोई तोड़ नही है।


प्राचीन कैलेंडर और कोड 369

प्राचीन काल के कैलेंडर में 360 दिन ही होते थे। भारत मिस्र रोम तथ समय के अनुसार पनपने वाली अन्य सभ्यताओं ने शुरू से ही एक वर्ष में 12 महीनों का ही अनुसरण किया है और प्रत्येक महिने में लगभग 30 दिन होते थे। बिना किसी calculator की मदद से उन महान लोंगों ने गणना कर ली थी की पृथ्वी को सूर्य का पूरा चक्कर लगाने में 360 दिन लगते हैं और पृथ्वी का एक घुर्णन 24 घंटे का होता है अर्थात 12 घंटे का दिन और 12 घंटे की रात।

सौर मंडल के ग्रहों की संख्या भी 9 ही मानी जाती है।

आज जो कैलेंडर दुनियाभर में इस्तेमाल हो रहा है। वह वास्तव में पुरातन कैलेंडर की ही देन है उसका निर्माण आज भी पुरातन कैलेंडर के आधार पर होता है।

30×12=360= 3+6+0=9 

हम समझ सकते हैं की सम्पूर्ण ब्रह्मांड की खगोलिय संरचना में कोड (3,6,9) का विशेष महत्व है आप किसी भी खगोलिय आकृति का अध्ययन कर के देख लीजिए आप उसमें इन तीनो अंको का समावेश अवश्य पायंगे।


Shape       Sides/ angles     Each Angle    Degree

Triangle                 3                   60°           180°

Quadrilateral         4                   90°            360°

Pentagon         5              108°          540°     

Hexagon         6      120°          720°

Heptagon         7      128.57°     900°

Octagon                 8      135°          1080°

Nonagon         9      140°          1260°


ज्योतिष शास्त्र और कोड 369

आईए अब ज्योतिष विज्ञान के आधार पर कोड 369 को समझने का प्रयास करते हैं।

ज्योतिष शास्त्र की गणना 360° पर आधारित है। 9 ग्रह, 12 राशियां तथा 27 नक्षत्र। सभी नौ ग्रहों के महादशा के लिए 120 वर्षों का पूरा काल चक्र।

यदि 360° को 12 से विभाजित किया जाए तो एक राशी 30° की होती है।

यदि 360° को 27 से विभाजित किया जाए तो एक नक्षत्र 13°20'(तेरह डिग्री बीस मिनट) का होता है, अर्थात एक राशी मे सवा-दो (2.25) नक्षत्र होते है।

आप सरलता से समझ सकते हैं कि कोड 369 का ज्योतिष शास्त्र में भी विशेष महत्व है।

ज्योतिष शास्त्र में अंक संख्या 3 देव गुरू ब्रहस्पति का प्रतीक है। ब्रहस्पति ग्रह को सबसे शुभ ग्रह माना जाता है और यह आकाश तत्व का प्रतिनिधित्व करते हैं।

अंक संख्या 6 दैत्य गुरू शुक्राचार्य का प्रतीक करती है और यह ग्रह जल तत्व का प्रतिनिधित्व करते हैं।

अंक संख्या 9 मंगल ग्रह का प्रतीक है और यह अग्नि तत्व का प्रतिनिधित्व करते हैं।

सम्पूर्ण ज्योतिष शास्त्र में इन तीनों ग्रहो का विशेष महत्व है। यह तीनों ग्रह किसी काल पुरूष की कुण्डली में जन्म से लेकर मृत्यु तक के सम्पूर्ण घटना क्रम के निर्धारण में एहम भुमिका निभाते हैं। इन तीनों ग्रहों के बिना ज्योतिष शास्त्र की कल्पना भी नहीं की जा सकती। 

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार जन्म कुंडली का तीसरा भाव त्रिलोकी के भेद खोलता है। छटा भाव परशानियों को बताता है तथा नौवा भाव प्रारब्ध को बताता है।

उपरोक्त विवेचन से यह बात काफी हद तक सिद्ध हो जाती है कोड 369 वास्तव में एक यादुई कोड है और इसे ब्रह्मांड की चाबी करार देना अतिशयोक्ति नहीं होगी।

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