20. बोहलोल साहिब और शराब की महफिल
एक मरतबा हारून ने शराब की महफ़िल सजा रखी थी वज़ीर अमीर बैठे थे हारून कनीज़ो के हाथों से शराब के जाम लेकर घटा घट पी रहा था के बोहलोल साहिब अचानक महफिल में आ पहुँचे उन्होंने हारून की तरफ ख़ामोश निगाहों से देखा तो हारून को नजरें मिलाते ही इस्लाम की नसीहतें याद आने लगी पर नशे कि हालत में उसने खुद को जैसे तैसे संभाला इससे पहले के बोहलोल साहिब बादशाह को कोई ऐसी वैसी बात कहें जिससे भरी महफिल में उनका सर नीचा हो पास बैठे वजीर ने तुरंत बोहलोल साहिब की तरफ देखा और बोला
वाहब साहिब क्या आप मेरे एक सवाल का जवाब देना पसंद करेंगे
जी हुजूर पुछीए मैं तैयार हूँ। बोहलोल ने जवाब दिया।
वाहब साहिब यह बताएँ के अगर कोई शख़्स महफिल में बैठ कर अंगूर खाए तो क्या यह हराम है।
नहीं। बिल्कुल नहीं।
अच्छा तो यदि वह अगूंर खाकर ऊपर से पानी पी ले तो क्या अब यह हराम है।
जी बिल्कुल नहीं
अब यही शख़्स अगूंर खाने और पानी पीने के बाद यदि धूप में बैठ जायें तो फिर क्या उसका धूप में बैठना हराम होगा।
जी बिल्कुल नहीं वह शख्स जितनी देर चाहे धूप में बैठ सकता है
तो फिर वाहब साहिब आप ख़ुद ही बताएँ के यही अगूंर और पानी। कुछ अरसा धूप में रख दिये जायें तो फिर इन्हें पीना हराम क्यों माना जाते हैं।
वजीर ने बड़े फ़ख़्र से अपना फ़लसफ़ा बयान किया।
अगर इजाज़त हो तो मैं भी चन्द सवाल कर लूँ। उम्मीद है इन्हीं सवालात में वजीर साहिब और बादशाह दोनी की तसल्ली हो जाएगी। बोहलोल साहिब ने बड़े इत्मीनान से कहा।
इजाज़त है। हारून झुमता हुआ बोला।
बोहलोल साहिब ने कहा। क्या वजीर साहिब बतायेंगें के अगर किसी आदमी के सर पर थोड़ी सी मिट्टी डाल दी जाये तो क्या उसे कोई नुकसान पहुँचेगा।
नहीं। ख़लीफ़ा ने फ़ौरन जवाब दिया।
इसके बाद यदि उसके सर पर थोड़ा सा पानी डाल दें। तो क्या उस शख़्स को कोई तकलीफ़ होगी
नहीं। बिल्कुल नहीं। वजीर बोला।
लेकिन अगर इस मिट्टी और पानी को मिलाकर ईंट बना ली जाये और वह उस शख़्स के सर पर दे मारी जाये। तो क्या कोई नुकसान होगा।
तुम भी अजीब बातें करते हो वाहब साहिब ख़लीफ़ा हँसा। उसका तो सर फट जायेगा।
तो फिर आलीजाह ग़ौर फ़रमायें तो उन्हें मालूम होगा के जिस तरह मिट्टी और पानी मिलकर इंसान का सर फोड़ सकते हैं ठीक उसी तरह अगूंर और पानी मिलकर भी शराब बन जाते हैं जिसके पीने से इंसान की अक़्ल मारी जाती है। उसे बुरे भले की तमिज़ नहीं रहती। इसलिये इस्लाम में इसे हराम माना जाता है और शरा ने शराब के पीने वाले पर सज़ा वाजिब की है। हारून का नशा गाएब हो गया। वह मुज़तरिब होकर उठा और पशेमानी से बोला। शराब की यह महफ़िल बर्ख़ास्त की जाती है।
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