Emblem of Iran and Sikh Khanda

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ईरानी प्रतीक चिह्न और सिखों के खंडे में क्या है अंतर पहली नजर में देखने पर सिखों के धार्मिक झंडे निशान साहिब में बने खंडे के प्रतीक चिह्न और इरान के झंडे में बने निशान-ए-मिली के प्रतीक चिह्न में काफी सम्मानता नजर आती हैं परन्तु इनमें कुछ मूलभूत अन्तर हैं जैसे कि :   Colour : खंडे के प्रतीक चिह्न का आधिकारिक रंग नीला है वहीं ईरानी प्रतीक चिह्न लाल रंग में नज़र आता है। Established Year : खंडे के वर्तमान प्रतीक चिह्न को सिखों के धार्मिक झंडे में अनुमानतन 1920 से 1930 के दरमियान, शामिल किया गया था। वहीं निशान-ए-मिली के प्रतीक चिह्न को ईरान के झंडे में 1980 की ईरानी क्रांति के बाद शामिल किया गया था। Exact Date : इस ईरानी प्रतीक चिह्न को हामिद नादिमी ने डिज़ाइन किया था और इसे आधिकारिक तौर पर 9 मई 1980 को ईरान के पहले सर्वोच्च धार्मिक नेता अयातुल्ला खुमैनी जी ने मंजूरी के बाद ईरानी झंडे में शामिल किया गया। वहीं सिखों के झंडे का यह वर्तमान प्रतीक चिह्न विगत वर्षो के कई सुधारों का स्वरूप चिह्न है इसलिए इसके निर्माणकार और निर्माण की तिथि के बारे में सटीक जानकारी दे पाना बहुत जटिल बात है, ...

Behlol dana aur gustakh aurat


              28.बोहलोल साहिब और गुस्ताख औरत 




एक बार बोहलोल साहिब अपने आसे पर सवार उछलते कूदते बगदाद की गलीयों से गुजर रहे थे कि एक हलवाई ने उन्हें आवाज दी। बोहलोल साहिब, बोहलोल साहिब रूकीए रूकीय इधर तो आइए जरा मेरी बात सुनिए।
क्या बात है जल्दी कहो।
बोहलोल साहिब आप बस दो मिनट इस तख्ते पर बैठ कर मेरी दुकान का ध्यान रखिए में जरा सामने से हो आऊ।
ठीक है ठीक है पर जरा जल्दी आना मुझे भी किसी जरूरी काम जाना है। में बस गया और आया।
आते ही उसने बोहलोल साहिब को दुकान से गर्मा गर्म दुध पेश किया। यह क्या है
यह ना सदका है ना खैरात है आपने मेरी दुकान का ध्यान रखा बस आप इसे अपना मेहनताना समझ लीजिए।
ठीक है ठीक है खुदा तेरा बहुत बहुत शुक्र है। दूध खत्म कर हलवाई को अलविदा कह बोहलोल साहिब उछलते कूदते आगे बढ़ गए।
बारिश होने के कारण बगदाद की गलीयों में काफी कीचड़ हो गया था।
एक जगह एक औरत अपने महबूब के साथ बैठी हुई थी कि अचानक बोहलोल साहिब वहां से तेजी से गुजरे तो उस औरत के लिबास पर दो तीन कीचड़ के छींटे आन गिरे इस पर औरत ने चिल्लाते हुए अपने महबूब की जानिब देखते हुए कहा इस गुस्ताख को जरा सबक तो सीखाओ मेरे महबूब

इस पर उसका महबूब गुस्से में बोला अरे ओ गुस्ताख दीवाने देख कर नहीं चल सकता सारा कीमती लिबास खराब कर दिया। ठहर में अभी तुझे सबक सीखाता हूँ।
उस शख्स ने उठते ही बोहलोल साहिब को पकड़ कर दो तीन थप्पड़ रसीद कर दिए। चल भाग जहाँ से दुबारा नजर मत आना।
बोहलोल साहिब ने आसमान की जानिब देखा और मन कहा ए खुदा तूं तो बड़ा बेनियाज़ है।
कभी दूध पिलवाता है और कभी थप्पड़ खिलवाता है।
और यह कह वह आगे बढ़ गए चल मेरे घोड़े टिक टिक टिक।

इतने में वह गुस्ताख शख्स जैसे ही तेजी से मुड़ा उसका पैर जोर से फिसला और वह धड़ाम से जमीन पर जा गिरा उसका सर पत्थर पर जा लगा और वहीं उसकी मौत हो गई।
वह औरत जोर जोर से चिल्लाने लगी हाए यह क्या हो गया लोग इकट्ठा हो गए पूरे बाजार में शोर मच गया।
पकड़ो इस दीवाने को यह सब इसी का करा धरा है।
उस शख्स के जानने वाले बोहलोल साहिब को पकड़ कर काजी के पास ले आए और सारा माजरा कह सुनाया।
बोहलोल क्या तुम भी कुछ कहना चाहते हो।
जी हुजूर
देखिए जनाब जब इन मोहतरमा के दामन पर छींटे गिरे तो इन्होने अपने महबूब की जानिब देखा और उसने ने मुझे मारा।
जब मैंने मार खाकर अपने महबूब की जानिब देखा तो उसने उस शख्स को मारा।
जनाब यह तो महबूब महबूब की लड़ाई थी जिसमें वह शख्स मारा गया मेरा भला इसमें क्या कसूर।
सब लोगों के सर शर्म से झुक गए।








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